केवल परीक्षा रद्द नही हुआ हैं.
बीपीएससी की परीक्षा बिहार में फिर से रद्द हो गई है. लाखों की संख्या में परीक्षा में बैठे छात्र फिर से इस परीक्षा की तैयारी करेंगे जिन्हें घर से अब और पढ़ने के नाम पर पैसे नहीं मिलने वाले थे उन्हें अपना हाथ फिर से फैलाना होगा और गुहार लगाना होगा ताकि अगले परीक्षा की तैयारी वह फिर से कर सकें.
बिहार की कहानी के पीछे हैं बड़ा कहानी.
बिहार में सरकारी नौकरी की तैयारियों की एक करोड़ कहानियां है. अक्सर सफलता मिलने के बाद अखबारों में हेड लाइन के रूप में ठेले वाले जूता पालिश करने वाले के बच्चे ने अफसर वाली नौकरी हासिल की चलने लगती है लेकिन यह परीक्षा रद्द होने के उपरांत कितने ऐसे बच्चों का हौसला टूट गया और पैसा जो उसने मुश्किल से जुगाड़ कर इस तैयारी में लगाए थे भी खत्म हो गया और अब आगे का कुछ पता नहीं है.
सरकार के लिए सब OK.
ऊपर से देखें तो सरकारी तौर पर काफी आसान है परीक्षा को रद्द कर देना और अगले परीक्षा की तारीख का ऐलान कर देना और साथ ही साथ सरकार और संबंधित अफसरों का काम भी पूरा हो जाता है कि उन्होंने गलत नहीं होने दिया और परीक्षा को रद्द कर दिया.
- नैतिकता शायद बची नहीं है इसलिए उसकी बातें करना भी यहां पर फिजूल होगा क्योंकि अगर नैतिकता होती तो शायद या प्रश्नपत्र बाहर नहीं गया होता.
- सवाल जो इस परीक्षा के रद्द होने से उठते हैं वह लाजमी हैं और कई बार मीडिया में उठाए गए हैं कि इसको लेकर जिम्मेदारियां तय होनी चाहिए.
- परीक्षा पत्र से जुड़े वह सारे तार जो मौजूदा अफसरों और पद धारकों से जुड़ा हुआ हो उनकी छुट्टी सरकारी क्रियाकलाप से तुरंत की जानी चाहिए. शायद इससे अगली बार इसे दोबारा करने की हिमाकत करने में अगली टीम 10 बार सोचे.
- उन बच्चों को हरजाना जरूर देना चाहिए जिन्होंने इस परीक्षा के लिए अपना सब कुछ लगाया.
रोटी कम पड़ती हैं, पढ़ाई की पाई नही.
बिहार में सरकारी परीक्षाओं की तैयारी करने की तस्वीरें वायरल अक्सर होते रहती हैं और लोग उस पर अपनी प्रतिक्रियाएं देते रहते हैं लेकिन उन तस्वीरों के पीछे की कहानी संसाधनों की कमी, दो वक्त पर एक वक्त की रोटी के पैसे बचाकर सबसे निचले तबके का व्यक्ति भी अपने बच्चों को दे रहा होता है ताकि उसकी पढ़ाई जारी रहे.
सम्भव हो तो बातें आगे रखिए.
शायद अब इन कहानियों को आगे बढ़ाने का वक्त आ गया है ताकि नैतिकता और जिम्मेदारियां दोनों तय की जाए बच्चों को उनका हक मिले और गलती की सजा केवल बच्चे और अभिभावक ही नहीं सरकार और सरकारी तंत्र भी भुगते.
बिहार से
लव कुमार सिंह.